पृथ्वी कैसे बनी? | Prithvi Kaise Bani?

  हमारी पृथ्वी ही एक मात्रा ऐसा ग्रह है जहा जीवन है , अभी तक अन्य किसी भी ग्रह पर जीवन की खोज नहीं हो पायी है | हमारे सौर मंडल में अन्य कई ग्रह भी है, पर पृथ्वी में ऐसा क्या ख़ास है जो यहाँ पर जीवन है ? इस बात को जानने के लिए हमारा ये जानना बहुत जरूरी है की पृथ्वी कैसे बनी ?


इस बात को मैंने इस लेख के जरिये आप तक पहुंचाने की कोशिश की है |





    सौर मंडल कैसे बना ?


    अभी तक बहुत से वैज्ञानिको ने अपने अपने मत रखे है की हमारा सौर मंडल किस प्रकार बना होगा | पर इन सब में सौर निहारिका परिकल्पना ( सोलर नेब्युलर सिद्धांत ) को श्रेष्ठ माना गया है | इस सिद्धांत के अनुसार हमारा सौर मंडल घूमते हुए अंतरतारकीय धूल तथा गैस से बनी है, जिसे हम सौर निहारिका कहते है | ये धूमकेतु बिग बैंग के तुरंत बाद बन गया था जोकि  हाइड्रोजन और हीलियम गैस से बना था | जैसे - जैसे अंतरतारकीय धूल और गैस की गति बढ़ने लगी तथा गरूत्वाकर्षण बल भी बढ़ने लगा जिसने इससे एक डिस्क जैसा आकर दे दिया | 




    पर नेब्युला के मध्य भाग में अति गति न होने के कारन वो धीरे - धीरे ढहने लगा | इस दबाव के कारण एक टी टौरी  नाम का तारा  बना जिसे हम अब सूरज के नाम से जानते है | 


    पृथ्वी के बनने  की प्रक्रिया | 


    पृथ्वी का निर्माण धूल तथा क्षुद्र ग्रहो से हुआ है | सूरज बनने के बाद उसके चारो तरफ क्षुद्र ग्रह तथा धूल के कण बहुत तेजी से घूमने लगे तथा उनमे टकराव भी बढ़  गए  | इन्ही अनगिनत टकराव के कारण चट्टान और धुल आपस में जुड़ने लगे जिनसे स्थलीय ग्रहो का निर्माण हुआ | हमारी पृथ्वी भी एक स्थलीय ग्रह है |  पृथ्वी 4.54 अरब साल पहले बनी थी | 


    जब सभी ग्रह लगभग बन चुके थे, तब हमारे सौर मंडल में 5 स्थलीय ग्रह थे | पर अभी तो सिर्फ 4 स्थलीय ग्रह है | दरअसल उस   पांचवे ग्रह का नाम थेया ( Theia ) था, जिसका आकर लगभग मंगल ग्रह के बराबर था | यही वह ग्रह है जो उस समय नयी नवेली पृथ्वी से टकराई थी और इसी टकराव ( Giant Impact Hypothesis ) में हमारे चन्द्रमा का निर्माण हुआ था | इस टकराव में थेया और पृथ्वी के पदार्थ आपस में मिल गए जिसके कारण हमारी पृथ्वी का आकर बढ़ गया | आकर बढ़ जाने के कारण पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण  बल भी बढ़ गया और वो अपने आस पास के क्षुद्र ग्रहो को और अधिक ताकत के साथ अपनी ओर खीचने लगी |


    पृथ्वी का शुरूआती वातावरण


    हज़ारो वर्षो तक पृथ्वी पर क्षुद्र ग्रहो की बारिश हुई | क्षुद्र ग्रह और पृथ्वी के टकराने से गरम ऊर्जा निकलती थी जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ता चला गया | एक समय ऐसा आया जब हमारी पूरी  पृथ्वी मैग्मा का एक महासागर बन गयी थी |  अभी मैग्मा हमारी पृथ्वी के मेंटल भाग में मौजूद है | पर उस समय पूरी पृथ्वी ही मैग्मा बन गयी थी | सभी तत्व डूबने लगे | भारी तत्व नीचे की तरफ जाने लगे और हल्के  तत्व  ने पृथ्वी  की ऊपरी सतह को बनाया | इस प्रकार इन सभी पदार्थो ने पृथ्वी की कोर मेंटल और क्रस्ट का  निर्माण किया  | जो अणु और भी हल्के थे वो क्रस्ट  से भी ऊपर उठ गए और उन्होंने पृथ्वी को वायुमंडल ढाल से  ढक  दिया  |  


    जब सौर मंडल में क्षुद्र ग्रह कम हुए तब जाकर कही पर पृथ्वी पर इनका गिरना बंद हुआ  |  हालाँकि बहुत से क्षुद्र ग्रह हमारी  पृथ्वी पर नहीं गिरे, जो अभी भी हमारे सौर मंडल में क्षुद्रग्रह घेरा  के रूप में  मौजूद है | क्षुद्र ग्रह  के बंद होने पर  पृथ्वी का  तापमान धीरे - धीरे कम  होने लगा और पृथ्वी पूरी तरह से ठंडी हो गयी |  


    पृथ्वी पर पानी कहा से आया | 


     मैग्मा और आणविक हाइड्रोजन के बिच क्रिया होने से पानी बना | पर ये पानी भाप के रूप में था पृथ्वी के अधिक तापमान के कारण | जब क्षुद्र ग्रहो का पृथ्वी पर गिरना बंद तो  हमारी जलती हुई पृथ्वी का तापमान धीरे धीरे कम होने लगा | जब पृथ्वी पूरी तरह से ठंडी हुई तब ये भाप बदल बन गए तथा उनसे  वर्षा होना आरम्भ हो गया | ये वो बारिश थी जिसने समुद्रो को जन्म दिया | 

     

     

    ऑक्सीजन पृथ्वी पर कैसे आया ?


    चट्टानों के आपस में प्रतिक्रिया करने से कार्बन डाइऑक्साइड बना | जैसा की हम जानते है पहला जीवन पानी में ही पनपा था | दरअसल वो  जीव नील हरित शैवाल ( Cyanobacteria ) था | नील हरित शैवाल प्रकाश में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी  को  मिलाकर ग्लूकोस तथा ऑक्सीजन बनाता था | इसी जीव के कारण हमारी पृथ्वी पर ऑक्सीजन आया | 


    पृथ्वी पर  पहला जीवन कैसे आया ? 


    कुछ वैज्ञानिको का मनाना है कि पृथ्वी पर जीवन अन्य ग्रह से उल्का पिंड के माध्यम से आया है | आरम्भिक यूनानी विचारको के अनुसार जीवन के बीजाणु बहुत से ग्रहो पर स्थानांतरित किये गए थे जिनमे से एक पृथ्वी भी है | साथ ही बहुत से वर्षो तक यह भी मन गया था कि जीवन सड़ने-गलने वाले पदार्थ जैसे भूसे, मिट्टी आदि से उत्पन्न हुआ, पर इसको लुइस पैस्टर ने खारिज कर दिया था अपने एक प्रयोग के जरिये | ओपेरिन और हाल्डेन के प्रस्ताव के अनुसार जीवन का उद्भव निर्जीव कार्बनिक अणुओं से हो सकता है | इस प्रस्ताव को एस ० एल ० मिलर ने अपने एक प्रयोग द्वारा सिद्ध किया | जीवन का पहला गैर-सेलुलर रूप आज से करीब तीन अरब साल पहले बना था | 


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    आशा करती हूँ कि आपको मेरा यह लेख पसंद | आप इसके सन्दर्भ में मुझे कमेंट कर सकते है | 


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